श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व |Bhagwat Geeta ka Mahatva | गीता ज्ञान (अध्याय 1 के 4 से 6 श्लोक )
लगभग 5000 वर्ष पहले युद्ध के मध्य दिया गया एक हिन्दु धर्मोपदेश जिसे 18 अध्यायों और 700 श्लोकों में संजोया गया श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व ,आज भी पूरे विश्व के लिए एक विश्लेषण का विषय है |जब हम गीता को पढ़ते हैं तो पाते हैं कि यह धर्मोपदेश जो कई बर्षों पहले दिया गया आज के युग में भी उतना ही कारगर है जितना उस समय था |
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भगवद्गीता अध्याय 1
श्लोक 4 से 6
संस्कृत
सञ्जय उवाच
अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि
युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथ: || 4||
धृष्टकेतुश्चेकितान: काशिराजश्च वीर्यवान् |
पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुङ्गव:
|| 5||
युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च
वीर्यवान् |
सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथा:
|| 6||
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भगवद्गीता अध्याय 1
श्लोक 4 से 6
हिन्दी में अनुवाद
इस सेना में भीम तथा अर्जुन के समान युद्ध करने वाले महारथी युयुधान, विराट तथा द्रुपद जैसे अनेक वीर धनुर्धर हैं ||4||
इनके साथ ही धृष्टकेतु, चेकितान, काशिराज, विर्यवान पुरुजित्, कुन्तिभोज तथा मनुष्यों में श्रेष्ठ शैब्य जैसे योद्धा भी हैं ||5||
शूरवीर युधामन्यु, अत्यन्त बलवान उत्तमौजा, सुभद्रा का पुत्र अभिमन्यु तथा द्रोपदी के पाँचो पुत्र , ये सभी महारथी हैं ||6||
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भगवद्गीता के अध्याय 4 से 6 श्लोक का आधुनिक युग में महत्व
आप का शत्रु ,जानता है कि आप के अन्दर दिव्य गुणों जैसी ताकते कूट- कूट कर भरी हुई हैं |
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Importance of Adhyay 1, verses 4 to 6 of Bhagavad Gita in the modern era
Your enemy knows that you are filled with divine qualities like forces inside you.
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