Himachali Kavita | हिमाचली कविता (प्यारा भाऊ)
हिमाचली कविता के इस स्कंध में आप पाएँगे ,डोगरी भाषा में लिखी Himachali Hasya Kavita जो जरूर आप के मन को मोह लेंगी |यह Hasya Kavita आप को रोजमर्रा कि जिन्दगी से सम्बंधित लगेगी ,पर इन का सम्बंध सिर्फ मेरी सोच से है ना कि किसी विशेष व्यक्ति से |
👚👚प्यारा भाऊ👚👚
दिला दा मरीज,बड्डा ही छैल भाऊ |
अप्पू ताँ खरा-खरा ,दूजेआँ जो सखाए बैर भाऊ ||
🐵🐵
दूँ ग्रामा दा शरीर तेरा,दसाँ ग्रामा आले जो भी सखाए बैर भाऊ |
फिक्र करनी चाहिंदी अपणी,जंग्गाँ खींजे दूजे दी भाऊ ||
🐕🐕
ज्ञान बड्डा भारी,प्रीत तेरी साजिशाँ नै भाऊ |
होणा-जाणा कुछ नी,अड़ेया रहे फेरी भी भाऊ ||
🐭🐭
तरक्की करे कोई ,मीटिंगाँ करे रोज भाऊ |
जित्थी कोई पुछदा नी,ओथी भी जंग अड़ाए भाऊ ||
🐹🐹
दारूए दि दुकाना जाई,भक्काँ मारे लक्खाँ दी भाऊ |
नाल लगी पैणा घोड़े जो,पैर अपणा भी बढ़ाई दे भाऊ ||
🐱🐱
नकेल पई बल्दा जो,अपना भी नक खुजलाए भाऊ |
पता-सता कुछ नी,कुछ भी गलाई दे भाऊ ||
🐣🐣
खरे कम कित्ते नी,सोची सोची कित्ती जिन्दगी खराब भाऊ |
हुण भी सुधरी जा,खरे कम ही आणे कम्माँ ओ भाऊ ||
अति सुन्दर
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