Himachali Kavita | हिमाचली कविता (हिमाचले दियाँ सड़कां)
हिमाचले दियाँ सड़कां
सड़काँ महारियाँ,पहाड़ाँ पर चलदियाँ |
अज सुणाँदा ,सै कियाँ बणियाँ ||
राज अड़ेया,अड़ेया जफ्फा |
चन्दू अड़ेया,अड़ेया घप्पा ||
समझ जे आई इना जो |
फेरी सारेयाँ मिली जुली कम पूरा करेया |
सड़काँ महारियाँ,पहाड़ाँ पर चलदियाँ |
अज सुणाँदा ,सै कियाँ बणियाँ ||
टिक्कुएँ बोलेया ,माफी मंगा |
राजें बोलेया, देई दिखण डंगा ||
जौफियें बाया था केसर |
ताँ कियाँ दिन्दा खेतर ||
सड़काँ महारियाँ,पहाड़ाँ पर चलदियाँ |
अज सुणाँदा ,सै कियाँ बणियाँ ||
गर कोई भी नी खेतराँ दिंदे |
पैदल ही जाँदे सारे घुमणे ||
मुन्डू सारे कँवारे रैन्दे |
ना ही छोटे मोटे व्यापार हुन्दे ||
सड़काँ महारियाँ,पहाड़ाँ पर चलदियाँ |
अज सुणाँदा ,सै कियाँ बणियाँ ||
कई अड़े रहे,कईए कितियाँ मीटिंगाँ |
कई पत्र निकले,कई बणियाँ कहाणियाँ ||
ए जे गड्डियाँ ,सडका पर दौड़ा दियाँ |
पता नी कितनेयाँ कित्तियाँ कुर्बानियाँ ||
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